रिशीपुर के हरे-भरे पहाड़ों और फुसफुसाते पेड़ों के बीच बसा हुआ था एक छोटा सा गाँव, जहाँ दो अनमोल दोस्त, निक्कू और गोल्डी, रहते थे। उनकी दोस्ती ऐसी थी जिसे कहानियों में लिखा जाता है, एक ऐसा बंधन जो साझा सपनों और अनंत हँसी में गढ़ा गया था। वे एक-दूसरे के दिलों को अपने से बेहतर जानते थे और एक नज़र में पूरी बात कह सकते थे। फिर भी, उनके बीच एक अनकहा धागा था जिसे कोई खींचने की हिम्मत नहीं करता था।निक्कू, एक शांत और चिंतनशील स्वाभाव का, अक्सर अपने मन के कोनों में शांति पाता था, उन विचारों