एक औरत की कहानी सर्वत की ज़ुबानी हम औरत भी ना बहुत हीं ख़ामोशी से अपने काम कर जाते हैं,चाहे वो बचपन की बात हो, या बड़े हो जाने की बात, या फिर शादी के बाद या फिर माँ बनने क बाद...बचपन मे पापा के हाथों से मिठाई खाना, या कभी गुस्से मे पिराई खाना, दोनों के मज़े हीं अलग थे, माँ का गुस्सा करना फिर रात मे अपने हाथो से खाना खिला, पैरो मे तेल लगाना फिर सीने से लगा कर सुलाना, भाई का अपने साथ ना खेलना, फिर अपने दोस्तों क घर लेकर जाना, बहनो के साथ ज़म कर