नक़ल या अक्ल - 34

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34 विदाई   सरला ने पार्वती के मुँह से दहेज़ न देने की बात सुनी तो वह कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी किशोर बोल पड़ा, “दहेज़ का क्या है, वह तो आता जाता रहता है,” अब उसने पंडित जी को आवाज़ लगाई, जो इस समय मीठे पान का आनंद ले रहें हैं। “पंडित जी विदाई का मुहूर्त तो नहीं बीता जा रहा है।“ पंडित जी को जैसे होश आया,  “वह जल्दी से वर-वधू के पास पहुँचे और तपाक  से बोले,  “हाँ बेटा, लक्ष्मण प्रसाद जी अब विदाई करवाए, शुभ घड़ी का निकलना ठीक नहीं है।“ सरला ने मुँह