शून्य से शून्य तक - भाग 52

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52=== अनिकेत के माता-पिता भी एयरपोर्ट पहुँच चुके थे| उड़ान समय पर थी| अभी तक आशी और रेशमा नहीं पहुँचे तो दीनानाथ जी को चिंता होने लगी| आशी खुद ड्राइव कर रही थी और आज रास्ते में उन्हें खूब बारिश और भीड़ भी मिली थी| पता नहीं, कहीं फँस न गए हों ?? कितनी बार आशी से ड्राइवर को साथ ले जाने के लिए कहते, उसके लिए एक अलग ड्राइवर था लेकिन शायद ही वह कभी उसके साथ जाती हो| दीना पिता थे, आशी जब भी बाहर जाती और जब तक लौट न आती, उन्हें ठीक से नींद कहाँ आती