शून्य से शून्य तक - भाग 51

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51=== आशी को अब सारी बातें ऐसे याद आती जा रही थीं मानो वह इन पलों में भी उन दिनों के साथ यात्रा कर रही है| वह कोई लेखिका नहीं थी लेकिन संवेदना इंसान को न जाने क्या-क्या बना देती है| अपनी शिक्षा में, अपने काम में वह सदा अव्वल रही थी लेकिन कभी यह कल्पना में भी नहीं था कि वह आपबीती इस प्रकार कागज़ पर उतारेगी----उसका मन धडक रहा था|  आशिमा और अनिकेत का नव-विवाहित जोड़ा इस प्रकार सबके मन में उतर गया था कि सब प्रफुल्लित हो, उत्साह में भरे प्रतीक्षा करते हुए बस उनके बारे में