द्वारावती - 41

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41“यह कोलाहल कब शांत होगा, गुल?”“किस कोलाहल की बात कर रहे हो तुम?”“इतने दिवस व्यतीत हो गए किन्तु मन अभी भी उन प्रश्नों पर चिंता कर रहा है। यह चिंता कोलाहल का रूप ले चुकी है।”“तुम भविष्य की अनिश्चितता से चिंतित हो अथवा असुरक्षा से?”“चिंता के अनेक कारणों में यह कारण भी हो सकते हैं।”“मुझे अन्य कारण भी विदित है। मैं बताऊँ क्या?”“गुल।”“तुम कुछ खोने के भय से चिंतित हो केशव।”“ यह कुछ शब्द से क्या तात्पर्य है तुम्हारा?”“कुछ का अर्थ है यह स्थान, यह समय, कोई व्यक्ति। कुछ भी हो सकता है।”“चलो छोड़ो इसे। हम कुछ अन्य बात करते