सन्यासी -- भाग - 16

  • 1.5k
  • 732

जयन्त की बात सुनने पर पुजारी जी उससे बोले...."बेटा! तुम उन दोनों की मृत्यु के लिए स्वयं को दोषी मत ठहराओ,ऐसा समझ लो कि भगवान ने तुम्हारी परीक्षा ली है कि इतना सबकुछ होने के बाद भी तुम सत्य के मार्ग पर अब भी चलोगे या फिर उस मार्ग को त्याग दोगे, यदि तुम सत्य का मार्ग चुनते हो तो तुम्हारी विजय निश्चित है और यदि तुमने सत्य का मार्ग त्याग दिया तो तुम सभी की भाँति एक साधारण मानव बनकर रह जाओगें,क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि ईश्वर ने तुम्हें किसी  विशेष कार्य हेतु धरती पर भेजा,मेरा अनुभव तो