ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(५)

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ब्रुन्धा धीरे धीरे बड़ी हो रही थी और किशना उसका बहुत ख्याल रख रहा था ,अब ब्रुन्धा पाँच साल की हो चली थी,लेकिन ठाकुर नवरतन सिंह का आकर्षण अब भी गोदावरी पर था,उसका जब भी जी चाहता तो वो गोदावरी को हवेली पर बुलवा लेता और किशना अपनी आँखों के सामने ऐसा अनर्थ होते हुए देखता रहता, जब गोदावरी हवेली जाती तो ब्रुन्धा अपने पिता किशना से पूछती...."बाबा! माँ हवेली क्यों जाती है,माँ मुझे अपने साथ हवेली क्यों नहीं ले जाती"तब ब्रुन्धा की बात सुनकर किशना का कलेजा काँप उठता और वो ब्रुन्धा से कहता...."बेटी! कभी भी हवेली जाने की