स्याह उजाले के धवल प्रेत - भाग 6 (अंतिम भाग)

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भाग -6 हज़ारों लोगों की हैरान-परेशान भीड़ सुलगती सड़क पर रुकने के बजाय आगे बढ़ने लगी है । वासुदेव के पास भी आगे बढ़ने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है। रात-भर का थका-माँदा समूह आगे बढ़ता जा रहा है।  बहुतों के पैरों में छाले पड़ गए हैं। बहुतों के तो वह छाले फूट भी चुके हैं। फूटे छालों के घाव की पीड़ा, चालीस डिग्री की तप्ती गर्मीं में भीतर तक वेध रही है। गर्म हवा के थपेड़े झुलसाए दे रहे हैं।  सभी के गले सूखी बंजर भूमि से हो रहे हैं। डिहाइड्रेशन के कारण सब की हालत बदतर होती