भाग 4जहां एक ओर पुलिस थाने से इंस्पेक्टर द्वारा सुखविंदर जी को जबर्दस्ती भेज दिया गया था तो वही दूसरी ओर रिश्तेदारों के ताने सुन रही अल्का जी को रह रह कर जब भी अपनी बेटी की याद आती उनकी आँखों से आँसू छलक पड़ते है।काफी समय ऐसे ही बीत जाने के बाद सुखविंदर जी थके हुए कदमों से घर को आ रहें थे।अल्का जी को बाहर की ओर से आते हुए देख लेती है वह जैसे ही सुखविंदर जी को देखती है।तो बिना किसी देरी के भागी भागी सुखविंदर जी के पास पहुँच जाती है। वह घर के अंदर