अब आगे, दूसरी तरफ, राठौड़ मेंशन मे, रघुनाथ जी ये सोच ही रहे होते है तभी उन को आराध्या की आवाज आती हैं जो उनका ही नाम पुकारते हुए अपने आप को बचाते हुए कहती है, "दादू, बचाओ मुझे नही तो दी मुझे मारेगी...!" और अपनी बात कहकर आराध्या अपने दादू के पीछे छुप जाती है। आराध्या की बात सुन कर, उस के दादा रघुनाथ जी, काव्या से पूछते है जो आराध्या के पीछे भागते हुए ही आ रही होती है , "और तुम क्यू वही मेरी नन्नी सी जान के पीछे पड़ गई हो...?" अपने दादा रघुनाथ जी की