अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 35

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जहां एक तरफ नरेश और उनका परिवार जगदीश प्रसाद और सरोज से विदा लेकर अपने घर चले गये थे वहीं दूसरी तरफ कानपुर के रास्ते में कार चला रहे जतिन ने अपने बगल में बैठे अपने बहनोई सागर से पूछा- सागर जी आप कहां गायब थे जब मैत्री की भाभियां मुझे अंदर ले जा रही थीं तब मैंने बहुत देखा आपको पर आप कहीं दिखे ही नहीं, बिल्कुल अकेला पड़ गया था मैं वहां पर...जतिन की बात सुनकर विजय बोले- सागर जी और सुनील की काफी अच्छी जम रही थी, दोनों साथ में ही थे....विजय की बात सुनकर सागर ने