पथरीले कंटीले रास्ते 19 बस में खङे खङे उसकी टाँगे दुखने लगी थी । वह कभी एक टाँग पर खङे होने की कोशिश करता कभी दूसरी पर । बस में दोनों टांगे एक साथ नीचे टिकाने की सुविधा कहाँ थी । एक सवारी उतरती तो चार चढ जाती । आखिर बस रामपुरा के बस अड्डे पर पहुँची । सवारियाँ उतरने लगी तो वह भी उतरने के लिए दरवाजे की ओर बढा । नीचे खङी सवारियाँ बस में चढने के लिए उतावली हो रही थी और धक्का मार कर भीतर बढी चली आ रही थी । वह दरवाजे में