इसी तरह दिन गुज़रते गए हिमानी सेलनियों को घुमाती, हरि किशन जी भी मंदिर जाते और कुछ थोड़ी बहुत दक्षिणा मिलती उसे घर ले आते । मई का महीना आ चुका था। मंदिर के कपाट खुल चुके थे इस बार अनुमान लगाया जा रहा था की अधिक से अधिक श्रद्धालु इस बार दर्शन करने आएंगे। घाटी में बहार आ चुकी थी श्रद्धालुओं के जथथे आ शुरू हो गए थे। धर्मशाले भरने लगी थी चारो और भीड़ ही भीड़ नज़र आने लगी थी। वहा रहने वालो के चेहरों पर चमक आ गयी थी क्यूंकि जितने अधिक श्रद्धालु वहा आएंगे उतना अधिक