रात की चादर ______________ रात की चादर से लिपट रही हूँ, अंधेरे से खुद को छुपा रही हूँ। खुशियों की राहें अब गुम हो गईं, मेरे दिल की धड़कनें धीमी हो गईं।सपने जो कभी रंगीन थे मेरी नजरों में, अब धुंधले हो गए, वो हँसी के पल भी अब दर्द में खो गए हैं। आँखों के हर आँसू में एक कहानी छुपी है, एक उदासी की दुनिया, जो अब सवेरा नहीं देखी है।मेरी हर ख्वाब में अब एक अँधेरा सा था वो, रात की चुप्पी में ये दिल बेकरार सा हुआ था। उदासी की इस घड़ी में, मैं अकेली हूँ,