लखन लाल के साथ अन्याय होता देख जयन्त चुप ना रह सका और उसने कुछ दिन ठहरकर आखिरकार काँलेज के बाबू सुमेरसिंह की शिकायत प्रिन्सिपल से कर ही दी,जयन्त के शिकायत करने से सुमेर सिंह के ऊपर कार्यवाही शुरू हो गई,जिससे सुमेर सिंह बौखला गया और वो एक दिन लखनलाल की झोपड़ी जा पहुँचा और उसे हड़काते हुए बोला.... "लखनलाल....ओ...लखनलाल बाहर निकल आया" लखनलाल जैसे ही बाहर निकला तो उसने सुमेर सिंह से पूछा... "क्या हुआ बाबूजी!" "बाबू जी के बच्चे,मेरी वहाँ शिकायत लगाता है और यहाँ बाबूजी...बाबूजी...कर रहा है",सुमेर सिंह ने लखन लाल से कहा... " नहीं बाबूजी! मैंने