शून्य से शून्य तक - भाग 46

46=== आशिमा और अनिकेत के आने से घर में एक खुशी और उत्साह का वातावरण बन गया था| आज तो अनिकेत और मनु में ऐसे बातें हुईं जैसे वे दोनों न जाने कितने पुराने दोस्त हों| रेशमा भी बहन और जीजा जी से बातें करके बहुत खुश थी | अगले दिन रात डेढ़ बजे की फ़्लाइट थी| सब लोग हवाई अड्डे पर पहुँच गए थे जबकि वहाँ अधिक बैठने का समय नहीं मिला| अनिकेत के माता-पिता व बहन भी आए थे| सबने एक-दूसरे को घर आने का निमंत्रण दिया| सब बड़े प्रसन्न व संतुष्ट थे|  आशिमा की शादी से निश्चिंत