शून्य से शून्य तक - भाग 44

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44=== माधो, आशिमा, रेशमा कमरे में एक ओर चुपचाप खड़े थे| दोनों लड़कियाँ दीना अंकल को इस प्रकार फूट-फूटकर रोते देखकर फिर से उदास हो उठीं| अपने हाथ में पकड़े हुए ज़ेवरों के डिब्बे उन्होंने और माधो ने कमरे की मेज़ पर रख दिए| दोनों बेटियाँ दीना अंकल के दाएं, बाएं बैठ गईं और माधो उनके पैरों के पास नीचे बैठकर रोने लगा|  “आप सभी एक-दूसरे को इतना प्यार करते थे, एक की परेशानी सबकी परेशानी रही है हमेशा| फिर ऐसा क्यों कह रहे हैं? ”आशिमा ने कहा और दोनों बेटियाँ अंकल के गले लग गईं|  “आप हमेशा एक-दूसरे का