उजाले की ओर –संस्मरण

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================== मित्रो ! स्नेहिल नमस्कार आयशा बचपन में बड़ी चुलबुली लड़की होती थी, जब देखो खुद खिलखिलाती रहती और सबमें भी मुस्कान बाँटती | चलती थी तो केवल चलती नहीं थी,नाचती-कूदती चलती थी | उसे देखकर सबके चेहरों पर मुस्कान थिरक जाती | सच तो यह था कि जब तक वह आ न जाती, सब उसकी प्रतीक्षा करते रहते | अब वह बड़ी हो रही है, कॉलेज में आ गई है, वहाँ भी उसकी धमाल, मस्ती रहती| सब उससे बात करना, दोस्ती करना पसंद करते लेकिन ग्रेजुएट होने के बाद अचानक उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा | उसने बहुत