रात में रौनक ने जैसे ही वंदना को अपनी बाँहों में भरने की कोशिश की वंदना ने उसे अलग करके दुत्कारते हुए कहा, “तुम्हें कोई और काम नहीं है। कुछ और नहीं सूझता है क्या?” “वंदना, यह कैसा अजीब प्रश्न है? तुम मेरी पत्नी हो, और ये क्षण प्यार करने के लिए ही तो हैं।” “मैं तुम्हारी पत्नी हूँ … काश मुझसे ही तुम्हारी यह हसरत पूरी हो पाती?” “क्या मतलब है तुम्हारा? तुम कहना क्या चाहती हो?” रौनक तो सोच भी नहीं सकता था कि आहुति वाली बात की भनक भी वंदना को लग सकती है। वह तो बिल्कुल