शाबान को जब मैंने बताया कि कल सुबह राज्याध्यक्ष साहब के साथ लोनावला चलने का कार्यक्रम है तो वह खुश हो गया, क्योंकि वह पहले भी दो-एक बार वहाँ चलने की इच्छा जाहिर कर चुका था। आरती और अरमान भी चलने के लिए तैयार हो गये। हमने राज्याध्यक्ष साहब की कार के साथ-साथ एक और टैक्सी करने की व्यवस्था कमाल पर ही छोड़ दी। लोनावला बम्बई और पुणे के रास्ते के बीचोंबीच एक सुन्दर पहाड़ी घाट पर बना हुआ छोटा-सा शहर था, जहाँ दूर-दूर पहाड़ी सौन्दर्य के बीच बने शांत और हवादार बंगलों में ठहरकर लोग ताजा हवा और शांति