रेत होते रिश्ते - भाग 10

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आज मेरी छुट्टी थी। शाबान किसी काम से सुबह से ही घर से निकल गया था और कह गया था कि शाम तक ही लौटेगा। आरती को सुबह चाय पीते समय मैंने बताया था कि आज दोपहर को मैं थोड़ी देर के लिए केवल फिल्मसिटी जाऊँगा, बाकी आज मेरी छुट्टी ही है। लगभग दस बजे नहाने-धोने के बाद वह मेरे पास आयी और बोली—‘‘भैया, यदि आज आपके पास थोड़ा समय हो तो मैं बाजार चलना चाहती हूँ?’’ ‘‘चलूँगा।’’ मैंने तुरन्त कहा—‘‘क्या काम है? मेरा मतलब है कि हम लोग कहाँ चलें?’’ ‘‘आप देख लीजिये, आजकल तो हर जगह हर चीज़