गौतम होटल के पिछवाड़े का यह हिस्सा वीरान-सा पड़ा था। कहने के लिए एक छोटा-सा बगीचा यहाँ था, मगर पीछे की ओर होने के कारण उसकी समुचित देखभाल का कोई प्रबन्ध नहीं था। इस ओर पैण्ट्री का पीछे वाला दरवाजा खुलता था तो दरवाजे के बाहर की जगह का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए होने वाले सहायक कामकाज के लिए किया जाता था। इस समय भी वहाँ पानी की बड़ी-सी टंकी के पास कुछ बरतनों का ढेर-सा पड़ा था। एक ओर बीयर की खाली बोतलें रखी थीं और पास के सूखे-से पेड़ पर बँधी एक रस्सी पर होटल में काम