सीढ़ियों पर लड़खड़ाने की वजह से शिविका के पैर में मोच आ गई थी । शिविका ने अपने पेट पर रखे उस सख्त हाथ पर अपने दोनों हाथों को रख दिया । " कोई मेरे काम में दखल दे.... मुझे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं..... । इसने संयम का काम बिगाड़ा है तो सजा भी संयम ही देगा..... । किसी और को हक नहीं है.... " । बोलते हुए संयम ने शिविका की कमर में अपनी उंगलियां धंसाते हुए झटके से उसे अपनी ओर खींच लिया । । शिविका उसके सीने से जाकर टकराई । संयम की छुअन में शिविका सख्ती