रेत होते रिश्ते - भाग 4

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शाबान और अरमान के जाने के बाद पूरे चौबीस घंटे भी नहीं गुजरे कि एक समस्या सामने आ गयी। आरती मेरे पास ही ठहरी हुई थी और सुबह ही पूरे दो दिन के अन्तराल के बाद मैं अपने ऑफिस में आया था। शाम को लगभग चार बजे मेरे पास फोन आया कि मेरे एक परिचित मित्र मुझसे मिलने के लिए आ रहे हैं। फोन आने के लगभग आधा घंटे बाद बादामी रंग की एक मारुति कार आकर रुकी और उसमें से निकलकर कमाल मेरे पास आया। बोला—‘‘सर पूछ रहे हैं कि आप उनके साथ बाहर चलेंगे या यहीं बैठकर बात