फागुन के मौसम - भाग 32

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सभी बड़ों के बाद जब यश, तारा, अंजली, अविनाश, राघव और जानकी खाना खाने बैठे तब बातचीत के दौरान यश ने राघव से कहा, "भाई ऐसा है कि कल सुबह ठीक ग्यारह बजे तुम दशाश्वमेध घाट पहुँच जाना।" "क्यों? कोई ख़ास बात है क्या?" "हाँ भाई, वहाँ जो बनारसी साड़ी की फैक्ट्री नहीं है जहाँ हाथों से साड़ियां बुनकर देते हैं एक्सक्लूसिव डिज़ाइन वाली, वहाँ तारा को विवाह और सगाई के लिए कुछ साड़ीयों का ऑर्डर देना है।" "तो इस खरीददारी में मेरा क्या काम है यश?" राघव ने हैरत से कहा तो यश बोला, "भाई, जितने घंटे ये शॉपिंग