युवा किंतु मजबूर - पार्ट 2

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चुनाव का नतीजा आ चुका था, खाने के पैकेट और मोबाइल बांटने वाली पार्टी जो सत्ता में थी, उसे हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी दल ने मंदिर और धर्मस्थलों के नाम पर वोट बटोर कर अपनी सरकार बना ली। वास्तविकता में केवल मुखौटे बदले है जबकि नीयत वही है... जो गरीब कल किसी और के सामने आंसु बहा रहा था वो अब किसी और के सामने रोएगा। एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में अस्सी से नब्बे फीसद लोग यदि सरकार के दिए हुए अनाज पर गुजारा कर रहे है , जनसंख्या का अगर ये हाल है तो यह स्वयं स्वतंत्रता पर