चोरपहरा पांडेय जी का एक छोटा सा परिवार था। पति-पत्नी और उनके दो सुपुत्र। प्रतिदिन सुबह सभी को घर से बाहर जाना पड़ता था। बड़े अपने काम से निकल जाते और छोटे विद्या ग्रहण करने। आजकल छोटे की परीक्षाएं चल रही थीं, इसलिये बाहरी लोगों का गाहे-बगाहे घर आना परीक्षा की तैयारी में विघ्न डालता था। माँ और बड़े भैया पहले ही जा चुके थे। इसलिये पिता जी को तरकीब सुझाते हुए छोटा बोलाः ‘ 'पिताजी आप काम पर जाते समय बाहर से ताला लगा देना। मैंने दूसरे कमरे के दरवाजे की चिटकनी अंदर से लगादी है। लोग समझेंगे कि