अब आगे, तनवी, अभय की डायरी को आगे पढ़ने ही वाली होती हैं कि उस की नजर अभय के कमरे में लगी वॉल क्लॉक पर जाती हैं जिसे देख वो हैरान होकर खुद से ही कहती हैं, " हे महादेव, मुझे आधा घंटे से ज्यादा हो गया है यहां आए हुए और तू किस काम से आई थी और क्या करने बैठ गई है...!" अपनी बात कहकर तनवी खुद के सिर पर हाथ मारती हैं। तनवी खुद से ही कहती है, "अभी के लिए ये डायरी को उस की जगह पर ही रख देती हु फिर कभी आकार इस को