शून्य से शून्य तक - भाग 40

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40== कुछ दिनों बाद दीनानाथ ने देखा कि आशी ऑफ़िस जाकर अपने प्रॉजेक्ट पर काम करने लगी थी | उन्हें तसल्ली सी हुई | उनकी निराशा अब एक बार फिर से आशा में परिवर्तित होती नज़र आ रही थी | मनु ने थोड़े दिनों में ही ‘एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट’ संभाल लिया था | यह उसकी रुचि का विषय था और यही उसका विषय भी था | अत:काम संभालने में उसे कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी |  काम तो संभल गया, उसके सहारे वह भी संभल रहा था | आशी से रोज़ मुलाकात होती ही थी | वह बचपन से उसका