नागरिक शास्त्र के प्राध्यापक

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नागरिक शास्त्र के प्राध्यापक स्कूल के कमरे की छत से लटका बिजली का पंखा मई महीने की भीषण गर्मी में रह-रह कर हाँफ रहा था। दूसरों को राहत पहुँचाने की अपेक्षा शायद उसे स्वयं की तीमारदारी की अधिक आवश्यकता थी। यूँ तो पिछले एक महीने से उसकी यह हरकत छात्रों के लिये परिहास का सबब बन कर रह गई थी। ऐसा होना स्वाभाविक भी था। शिक्षक की अनुपस्थिति में जब भी वह आराम फरमाने के लिये अपनी लचर गति को पूर्ण विराम लगाने के समीप होता तो बूढ़े बैल को हाँकने की भाँति छात्रा डंडे के प्रहार से उसे चलने