मैं बहुत परेशान थी ।मैं उठी और अभिषेक की मां के कमरे में चली गई । अभिषेक तब तक जा चुका था । अभिषेक की मां अकेले वहां बैठी कुछ सोच रही थी तभी मैने भी उनकी गोद में सिर रख दिया। "मां,, मैं क्या करूं अब? " मैं ने उदासी भरे स्वर में पूछा। "तेरा दिल क्या चाहता है बेटा?" अभिषेक की मां ने मेरे गालों को छूकर पूछा। "राजू अभिषेक को अपना पिता मानता है। मैं अभिषेक से उसका बेटा और राजू से उसका पिता कैसे छीन सकती हूं मां? " "इसका मतलब है तू राजीव के साथ