जहां एक तरफ सरोज अपने साथ मैत्री को लेकर ड्राइंगरूम की तरफ बढ़ रही थीं वहीं दूसरी तरफ ड्राइंगरूम मे बैठे सब लोग आपस मे बातचीत कर रहे थे लेकिन इन सब लोगों के बीच में बैठे जतिन के मन में बेचैनी थी, बेचैनी मैत्री से पहली बार मिलने की... बेचैनी मैत्री को पहली बार अपने सामने देखने की और बेचैनी होती भी क्यो नही भगवान ने पहले दिन से ही मैत्री के लिये उसके दिल में ना सिर्फ ढेर सारा प्यार भर दिया था बल्कि खुद भगवान ने ही जतिन और मैत्री को एक करने के लिये सारे रास्ते