गुलकंद - पार्ट 4

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गुलकंद पार्ट - 4 पद में छोटी होने के बावजूद वह काकी का प्रभाव ही था कि हर दो-चार दिन पर बाऊजी किसी न किसी काम के लिये उनकी मदद करने को, समय मिलते ही, उनके यहाँ चले जाने फरमान अम्मा को पकड़ा दिया करते... कभी बेटी की विदाई के लिये पकवान बनाना, कभी चिऊड़ा कूटना, धान फटकना होता था... जितना बड़ा परिवार उतना ज्यादा-ज्यादा काम! बाऊजी के आदेश की अनदेखी अम्मा के लिये संभव नहीं थी पर यूँ नौकरों की तरह पराये घर में बार-बार काम करने जाना और इस तरह काकी की सरपरस्ती को स्वीकार कर लेना, उनके