दंगा

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बात बहुत पुरानी है किन्तु आज भी प्रासंगिक है और शायद आज जो देश का  माहौल है इसमें इस कहानी का ज़िक्र आवश्यक है| उन दिनों हमारा छोटा सा शहर धार्मिक दंगों की आग में जल रहा था| चूँकि दंगों का असर शहर के पुराने हिस्से में अधिक था जहाँ हिन्दू-मुस्लिम आबादी लगभग समान अनुपात में ही थी  और मैं  शहर के नए हिस्से में और ऊपर से हिन्दू बहुल क्षेत्र में था तो अपनी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत था| शाम के समय मोटरसाइकिल से आसपास घूमने निकला तो सोंचा पेट्रोल भी डला लूँ| अब पेट्रोल पंप किसका है ये