29=== आज वे बहुत दिनों बाद नीचे नाश्ता करने से पहले माँ के मंदिर में आए थे, “प्रसाद लो दीना---”माँ ने दीनानाथ के हाथ में प्रसाद रखा और ज्यों ही माँ के चरण स्पर्श करने के लिए झुके पैर पीछे की ओर हट गए| “क्या कर रहे हैं साब ---? ”माधो बुरी तरह बौखला गया था| दीना मानो नींद से जागे हों, ऐसे चौंक उठे| “ओह! ”उनकी आँखों से फिर गंगा-जमुना बहने लगीं| इतने दिनों के बाद नीचे उतरने पर बीच का समय मानो उन्हें भूल सा गया था| सब कुछ पुराने चलचित्र की भाँति उनके सामने से जैसे गुजरने