शून्य से शून्य तक - भाग 22

22=== दीनानाथ को आज इस उम्र तक यह घटना याद है जो उनके दिलोदिमाग की गलियों को पार करके उनके जीवन के वर्तमान पर्दे पर चलचित्र की भाँति नाचने लगती है| अन्यथा वो कुछ छुट-पुट घटनाओं के अतिरिक्त पीछे की कुछ बातें नहीं सोच पाते|  हाँ, अपने पिता की एक बात और उन्हें अच्छी तरह से याद है कि वे हर शनीवार को सबको बिरला मंदिर ले जाते थे| उस दिन वह दीना का अपना दिन होता, अपने माता-पिता के साथ ! वही उनका परिवार था जिसमें उन्हें खुशी मिलती थी | बस, उनके साथ एक ड्राइवर साथ होता था|