शून्य से शून्य तक - भाग 10

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10=== अचानक वह सब कुछ हो गया जिसकी किसी ने सपने में भी कल्पना तक नहीं की थी| मनु को मामा की मृत्यु के पश्चात् भारत लौटना पड़ा और अपनी इतनी काबिलियत के बावज़ूद वह अभी तक भटक ही तो रहा है | कुछ ऐसा हाथ ही नहीं लग रहा था जिससे वह एक्शन ले सके | आखिर पूरा माहौल समझने में उसे कुछ समय तो लगेगा ही ---|  “मनु साहब ! यहाँ के और विदेश के काम करने का ढंग बिलकुल अलग है–आप –” “कितना भी अलग क्यों न हो मि.बाटलीवाला, काम, काम ही होता है और मैं कोई