शून्य से शून्य तक - भाग 8

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8==== माता-पिता के कहने पर कि दीना अंकल के यहाँ चलें, बहनें घर पर ही रहकर एंजॉय करने की बात करतीं और कहतीं –“हम क्या करेंगे, आप लोग जाइए, वहाँ जाकर बोर ही होना–हाँ, मनु भैया को ज़रूर ले जाइएगा| हो सकता है आशी जी का मूड ठीक हो जाए--”वे हँसतीं| ”सब जानते थे कि दोनों माँओं ने आशी का विवाह मनु के साथ करने का स्वप्न बुन रखा था|  “बेटा! तुम लोग जानते हो वो एक‘साइकिक पेशेंट’हो गई है| कारण भी तुम जानते ही हो| दीनानाथ अंकल तो तुम सबके ही प्यारे हैं न? उनकी हैल्थ भी तो आशी