उजाले की ओर –संस्मरण

  • 1.6k
  • 615

उजाले की ओर ----संस्मरण नमस्कार स्नेही मित्रों जीवन जहाँ आसान है, वहीं कठिन भी है जैसे जहाँ कठिनाई आती है वहाँ कोई न कोई सरल मार्ग भी सामने आ जाता है | बस, थोड़ा हमें चैतन्य रहने की ज़रूरत है |  होता यह है कि कभी-कभी हम शर्माशर्मी में अपना खुद का नुकसान कर लेते हैं | कभी हम अपनी सीमा से अधिक स्वयं को या तो अच्छा दिखाने में अथवा अपने भोलेपन में ऐसे काम कर बैठते हैं जो हमारे लिए ही गलत हो जाते हैं | फिर हम पछताते भी हैं |  कई बार कोई बात हमारे बस