भाग -3 अंततः तबरेज़ ने उसे दबोच ही लिया है, और दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए हैं, उठा-पटक, लात-घूँसे, दाँत काटने से लेकर बाल खींचने तक पूरे ज़ोरों से चल रहा है, बड़ी बात यह कि वह तबरेज़ से कमज़ोर नहीं पड़ रही है। एकाएक बदले उसके इस रूप से हक्का-बक्का तबरेज़ को कई गहरी चोटें लग गई हैं। वह मज़बूत होने के बावजूद वाज़िदा के अति उत्साह, भयानक ग़ुस्से, आक्रामकता के आगे बीस नहीं उन्नीस पड़ने लगा है। फिर भी वाज़िदा ने सोचा कि इस तरह मार-पीट करते-करते या तो यह मर जाएगा या मैं ही मर जाऊँगी। यहाँ चीखने-चिल्लाने