भाग-1 प्रदीप श्रीवास्तव कोविड-१९ फ़र्स्ट लॉक-डाउन काल की सत्ताईसवीं सुबह है। रिचेरिया अपॉर्टमेंट की पाँचवीं मंज़िल पर अपने फ़्लैट की बालकनी में बैठी, दूर क्षितिज में एक केसरिया घेरे को बड़ा होता देख रही है। घेरा जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है, वैसे-वैसे उसका केसरिया रंग हल्का होता जा रहा है। चमक बढ़ती जा रही है। रिचेरिया प्रकृति के इस अनूठे खेल को जीवन में पहली बार इतने ध्यान से देख रही है। इसके पहले उसने बालकनी में ही चिड़ियों के लिए दाना-पानी भी ताज़ा कर दिया है। उसके सिर के ठीक ऊपर बाज़ार में बना एक बड़ा सा घोंसला टँगा