स्वयं अनुभूति एक मुख्य विषय - अलार्म

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सुबह सुबह नहा धो कर मैं सेकेंड फ्लोर की बालकनी में आ कर बैठ गया... करीबन छ: सवा छ: बज रहे थेसीढ़िया चढ़ते हुए जब आ रहा था तो सभी कमरों के बाहर लगे कूलर सररर सरर्र कर रहे थे, किसी कमरे में बत्ती चालू थी तो कहीं अलार्म बज रहा था.. सुबह सवेरे भोर के साथ जागना तो सब चाहते है लेकिन बिस्तर को दिन भर के लिए अलविदा कहना जरा मुश्किल नजर आता है इसी डर से अलार्म लगाते है और बेझिझक हो कर मस्त सूअर की भांति निद्रालोक में चले जाते हैं परंतु अलार्म तो मशीन है