पुस्तक समीक्षा कर्मफल भावार्थ सहित ******************* मानव जीवन तमाम विडंबनाओं, विसंगतियों से भरा है, जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए कब हमारे जीवन की दिशा बदल जाती है, हमें पता ही नहीं चलता। कुछ ऐसा ही हुआ आ. दिनेश गोरखपुरी जी के साथ। जिसके फलस्वरूप हमें "काव्य परंपरा से मुक्त- नवोन्मेषी पहल" पर आधारित पुस्तक के अवलोकन का लाभ "कर्मपथ भावार्थ सहित" नामक उनकी पुस्तक से हुआ। जिसे उन्होंने अपने अंत:करण की आवाज को शब्दों में नवान्वेषी सृजन के माध्यम से सरल, सहज और आमजन को आसानी से समझ में आने वाले शब्दों की अभिव्यक्ति से मानव जीवन के अनेकानेक