प्रिय पाठकों मैं, एक लेखिका, श्रुत कीर्ति अग्रवाल, आज पहली बार आपके साथ अपनी रचनाओं के माध्यम से नहीं, स्वयं अपने-आप को माध्यम बना आपके समक्ष हूँ। अभी तक मुझे लगता था कि अगर मैं अपनी सारी बातें अपने पात्रों के द्वारा आपसे कह ही सकती हूँ तो स्वयं को सामने लाने की आवश्यकता भी क्या है? पर पिछले कुछ दिनों में लेखकों के लिये आयोजित कुछ कक्षाओं ने मुझे यह सिखाया कि अगर आप अपने पाठकों से जुड़ाव चाहते हैं तो उनके साथ एक संवाद की स्थिति बना कर रखनी पड़ेगी। उनके मन के भाव समझने पड़ेंगे, प्रश्नों के