मासिक धर्म

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भाग – १ मैं रीया,,,रीया बजाज,,, । बालकनी में बैठी गरम चाय की चुस्की लेते हुए मुझे अपनी ही कहानी यानिकि यादें बचपन से लेकर अब तक की याद आने लगी । सोचा चलो लिखते हैं दर्द अपना भी। हर इंसान के अंदर एक लेखक तो छुपा ही होता है बस जरूरत होती है कुछ ऐसे अवयवों की जो उस लेखक को बाहर ला सके। कभी कुछ हादसे होते है तो कभी कोई प्रेरणात्मक कहानी जो हर किसी के अंदर छुपे एक लेखक को पहचानने में मदद करती है । तो आज चाय पीते हुए मेरे अंदर का भी लेखक