भाग –३७ मैं सोचती थी कि शायद अब इसी से राजीव मेरे प्यार को समझ पाएगा और हमारे बीच सब ठीक होगा और ना भी हुआ तो मैं उसके बच्चे को लेकर उसकी जिंदगी से कहीं दूर चली जाऊंगी। मैं भले ऊपर से खुश दिखती थी ।लेकिन अंदर ही अंदर अब टूटने लगी थी । शादी को 6 महीने बीत चुके थे , राजीव के करीब रहने से मेरे प्यार में उसके लिए बस बढ़ोतरी ही हो रही थी । लेकिन वो निर्मोही समझता ही नही था । राजीव की पकड़ मुझ पर मजबूत होने लगी उसने मुझे बाहों में