द्वारावती - 37

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37“अंतत: तुमने उन पंखियों को मित्र भी बना लिया, शाकाहारी भी।” केशव ने मौन तोड़ा। “यह अर्ध सत्य है, केशव।” गुल ने प्रतिभाव दिया। “तो कहो पूर्ण सत्य क्या है?”“पूर्ण सत्य यह है कि पंखी मेरे मित्र बन गए है किन्तु शाकाहारी बने कि नहीं यह निश्चित करना उचित नहीं होगा। मंदिर के प्रांगण में डाले दानों को उन्होने अवश्य खाये हैं किन्तु उससे उनकी क्षुधा तृप्त नहीं हो सकती। दिवस भर कभी भी वह समुद्र से मछलियां खाएँगे, खा सकते हैं। उनका पूर्ण रूप से शाकाहारी बनना मुझे संभव नहीं लगता।”“तुम प्रयास करती रहो, तुम अवश्य सफलता प्राप्त करोगी।”“मेरे