द्वारावती - 36

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36एक अन्य दर्शक भी उस नृत्य को देख रहा था। प्रांगण के एक छौर पर मौन खड़ा था वह। गुल के नृत्य से वह अभिभूत था। गुल के साथ नृत्य कर रहे पंखियों को देखकर वह साश्चर्य प्रसन्न था। गुल के नृत्य की एक एक भाव भंगिमाओं को वह रुचिपूर्वक देख रहा था। ‘कितना निर्बाध, कितना सहज, कितना उन्मुक्त, कितना उत्कट भाव से भरा नृत्य है यह!’ वह मन ही मन बोल उठा। वह उसे देखते ही जा रहा था। स्वगत बोले जा रहा था, ‘ऐसा नृत्य कभी किसी ने किया होगा क्या? किसने? कब? कहाँ? कैसे? किसने देखा होगा?