31 आनेवाले नए प्रभात की सुगंध वहां व्याप्त थी। गुल तथा केशव प्रतिदिन की भांति तट पर थे, समुद्र की जलराशि को देख रहे थे। जल राशि के उस पार महादेव थे जो आमंत्रित कर रहे थे। दोनों ने उस मंदिर को देखा, एक दूसरे को देखा, आँखों ने संकेत दिये और दोनों कूद पड़े समुद्र की जल राशि में। कुछ ही क्षणों में दोनों महादेव की शरण में आ गए। मंदिर प्रवेश से पूर्व ही गुल रुक गई। केशव भी। गुल मुड़ी, समुद्र की उस लहरों को देखने लगी जिसे पार कर वह अभी अभी यहाँ आई थी। समुद्र